नहीं कर पाया 12वी पास,बना कंडक्टर और करी कड़ी मेहनत – अब सर झुकाते है सब इसके आगे
जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने यह शख्स तमिलनाडु राज्य परिवाहन की बस नंबर 70 में सफर करता है और यह बस का कंडक्टर है अगर आपको भी कभी तमिलनाडु जाने का अवसर प्राप्त हो और आप इनकी बस में घूमे तो यह कहानी पढ़ने के बाद आप इनके बारे में अलग नजरिया रखेंगे इनको द ट्री मैन के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल द ट्री मैन एक बहुत ही बड़े परिवर्तन का नेतृत्व कर रहे हैं। यह इंसान निस्वार्थ पर्यावरण की रक्षा में जुटे हुए हैं और अनेकों कार्यों का एक विशाल वर्ग इनके इस नेक कार्य को इज्जत देता है।
द ट्री मैन का असली नाम है एम योगनाथ। यह पिछले 30 वर्षों से पर्यावरण की रक्षा करने हेतु कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में करीब 32 जिलों में तीन लाख के करीब पौधे उगाए हैं। साथ ही उन्होंने अपना मासिक वेतन का 40% हिस्सा पौधे खरीदने और स्थानीय स्कूल कॉलेजों के पर्यावरण की रक्षा में लगा दिया है।
जब एम् योगनाथ छोटे थे और स्कूल से घर आया करते थे तो उन्हें कड़कड़ाती धूप से बचना होता था। तब वह पेड़ों का आश्रय कर लेते थे साथ ही जब व पेड़ों की छांव में बैठते थे तो वह प्रकृति के लिए कविताएं लिखने लगते थे असल संघर्ष तो उनका तब चालू हुआ जब 1987 में वह नीलगिरी में थे। इस दौरान उन्होंने नीलगिरी में रहते हुए वहां के लकड़ी माफियाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चालू किया था। इन्होंने लकड़ी जलाने वालों एवं पेड़ काटने वालों के खिलाफ सख्त विरोध किया।इनके लिए अफसोस की बात यह रही कि इनकी पढ़ाई 12वीं के बाद जारी नहीं रह पाई। परंतु इनका प्रकृति मां से प्रेम बढ़ता ही चला गया वह हमेशा ही प्रकृति की और पर्यावरण की ज्यादा जानकारी निकालने में जुटे रहते थे पिछले 15 वर्षों से वह एक बस कंडक्टर के रूप में कार्यरत हैं और पेड़ पौधे उगाने का जुनून हमेशा ही उनके सिर पर घूमता रहता है।
जब भी वह अपनी कंडक्टर की नौकरी से वापस आतें हैं तो इसके बाद वह समय निकालकर अपने लैपटॉप पर प्रेजेंटेशन तैयार करते हैं। वे विभिन्न स्कूल और कॉलेज में जाते हैं बच्चों से मिलते हैं और उन्हें स्लाइड्स दिखाते हैं। उनका कहना है कि जब भी वह स्लाइड दिखाते हैं तो, वह बच्चे तैयार हो जाते हैं स्वयं से पेड़ लगाने के लिए। जैसे ही यह बच्चे पेड़ लगा देते है तो उस पेड़ को लगाने वाले का नाम दे दिया जाता है और फिर यह जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है कि उस पेड़ का रखरखाव वह बच्चा ही करेगा।
एम योगीनाथ ने बचपन में जो भी पेड़ उगाया और पौधे लगाए वह अब एक सुंदर बुलंद बगीचे में तब्दील हो चुके हैं। साथ ही जिन बच्चों और विद्यार्थियों द्वारा यह पेड़ लगाया जाता है तो एम योगीनाथ उसका पूरा पता ले लेते हैं और उनसे पूरा जायजा लेते रहते हैं कि क्या ठीक से पेड़ पौधे उगाये जा रहे हैं या नहीं उनकी देखरेख हो रही है या नहीं उन्होंने अब तक अपने पूरे जीवन में 3700 से भी ऊपर स्कूलों में जाकर बच्चों का प्रोत्साहन बढ़ाया है।
परंतु एम योगनाथन की जिंदगी इतनी आसान नहीं है उनके ऊपर अनेकों केस चल रहे हैं जो वन विभाग द्वारा किए गए हैं। साथ ही उन्हें पर्याप्त धनराशि नहीं मिलती जिस वजह से वह अपने खुद के घर में रह सके और वह किराए के घर में रहते हैं जहां पर अगर वह पेड़ पौधे उगाते हैं तो मकान मालिक उन्हें अगले ही दिन निकाल देते है। आपको बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से उन्हें पर्यावरण योद्धा का पुरस्कार भी मिल चुका है साथ में और पुरस्कार भी उनके नाम दर्ज है बहुत बार ऐसा हुआ है कि सरकार उन्हें पुरस्कार देना चाहती है परंतु पैसों के अभाव के कारण वह उपस्थित नहीं होते। उनके द्वारा लगाए गए जितने भी पेड़ हैं वह अभी तक जिंदा है और दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। वह कहते हैं की प्रकृति की सुरक्षा करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है एवं आने वाली पीढ़ी के लिए वह किस तरह की धरती अपने बच्चों को देना चाहते हैं यह सब को सोचना अनिवार्य है।